Friday, October 28, 2016

ऊजाळा की आस....



खौरि खैक मनखि,
सदानि सुख हि पौन्दु,
जैन नि खाई कब्बि,
ऊ कामयाब नि होन्दु....

हिटदा छौं जब हम,
तड़तड़ि ऊकाळ,
मंजिल फर पौंछण कू,
मारदा दौं फाळ.....

सुख वे मनखि तैं मिल्दु,
जू करदु छ जतन,
जू बण्युं रन्दु निकाजु,
होन्दु छ वेकु पतन....

जू मनखि हैंसणु हो,
वेन पिड़ा भुगति होलि,
जू मनखि हिटणु हो,
वेका खुटौं फर छाळा,
जरुर पड़ि होला,
बिना खौरि खयां मनखि,
अग्नै नि बढ़ि सकदु,
जू द्यू जगणु हो,
ऊजाळु वे सी हि होन्दु.....

ऊजाळा की आस मा,
मेहनत करि मनखि,
अपणा शरील फर दंड देन्दु,
तब हि होन्दि होणि खाणी,
जिंदगी कू मजा लेन्दु.......
दिनांक 16.6.2016

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