Friday, October 28, 2016

अंगोठ्या.....



चार आंग्ळौं कू,
पांचौं भाई छ,
पांची मिलिक,
पकड़दा छन,
कंठ्याळु कैकु.....

छोट्ट नौना,
चुस्दा भिछन,
किलै चुस्दा होला,
जाणु ऊंकू अजाण मन....

अंगोठ्या कागज फर,
लगैक देंदु छ मनखि,
अधिकार कै तैं,
जमीन जैदाद कू,
अर्जी फर भी,
लगौन्दु मनखि,
अर्ज कन्न का खातिर.....

जब क्वी मतलबी मनखि,
कैसी अपणु काम,
निकाळि देन्दु,
तब दिखौन्दु छ,
अंगोठ्या अपणु,
बोल्दु छ तब,
देख ठेंगा......

सरकारी कर्मचारी भी,
अंगोठ्या लगैक,
सुबेर ब्याख्ना,
लगौन्दन हाजिरी,
हाजिरी मशीन फर....

अंगोठ्या जन भिछ,
बड़ा काम कू छ,
तब्बित परमेशुरन,
दिनि मनखि तैं........

             दिनांक 21.7.2016

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