Friday, October 28, 2016

स्याळि.....




लटुलि जैंकि काळी छन,
उम्र अठ्ठारा साल की,
हौंसिया उम्र छ वींकी,
लग्दि छ कमाल की.....

दिखेन्दि छ मुखड़ि वींकी,
जोन जनि हैंस्दि छ,
आंख्यौंन शान करि,
अफु जनैं खैंच्दि छ....

हमसि नि रयेन्दु तब,
दिल यनु धक्कद्यान्दु छ,
दानु पराण तब हमारु,
बगछट्ट ह्वै जान्दु छ.....

ओंठड़ि दबैक वा,
हमारा धोरा औन्दि छ,
बतै द्यौलु ठैरा जरा,
हम्तैं वा डरौन्दि छ.....

हमारी वींकी उम्र मा,
फर्क बड़ु भारी छ,
स्याळि स्वाणि छ हमारी,
पर होयिं लाचारी छ......

सुपिनौं मा औन्दि स्याळि,
कुतग्याळि लगौन्दि छ,
वींकी दीदी देखिक,
ज्युकड़ि झरर होन्दि छ.....

दिनांक 26.7.2016

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल