सब्बि लग्यां रयौं,
हमारु उत्तराखण्ड देवा,
किलैकि पहाड़ कू विकास,
हम अपणा हातुन करला,
जुल्म भी सैन,
पुलिस का लठ्ठा भी खैन,
भै बंधुन जान भी गवैंन,
कर्मचारी बिना तनख्वाह का,
कै मैंनौ तक तंगी मा रैन,
क्या बतौण?
क्या क्या हाल नि ह्वैन.....
लड़ि भिड़ि लिन्युं उत्तराखण्ड,
आज कनु कणाणु छ,
पहाड़ कू हर गौं दिन दिन,
बजेन्दु जाणु छ,
कसूर कैकु छ,
बिचार कन्न वाळी बात छ,
पहाड़ कू पलायन रोका,
चिंतन भी करदन मनखि,
पर बात हमारा हात छ......
नेता हम हि चुनौ का बग्त,
अपणा हात काटिक बणौन्दा छौं,
पहाड़ कू विकास नि कन्ना छन,
इळजाम भी लगौन्दा छौ......
जन भी सोचा तुम,
कनि टोटगंत ह्वै,
पलायन रोकण का खातिर,
पहाड़ मा रोजगार कू,
इंतजाम कतै नि ह्वै.....6.9.2015
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