Friday, October 28, 2016

जल्म लिनि जब....



जल्म लिनि जब यीं धरती मा,
खूब लराट मैंन मचाई,
कैका घर मा जल्म ह्वैगि,
बात बिंगण मा कतै नि आई.....

रोणु थौ मैं कुजाणि किलै,
सब्बि मन सी खुश होणा था,
नौनु ह्वैगि हुणत्याळि कू छ,
कांसा की थगोलि बजौणा था....

आंखा खुल्यन जब मेरा,
अपछाण मनखि दिखेणा था,
ब्वै की खुग्लि फर मैं मासूम,
मनखि मेरी भुक्कि पेणा था....

बामण देव्ता एक दिन ऐन,
पूजा करि जल्म पत्री बणाई,
हुनरवान होलु तुमारु नौनु,
ब्वै बाबु तैं मेरा बताई.....

ब्वै बाब की पिरेम छाया मा,
बाळु बचपन बितणु थौ,
कुछ मैंना बितण का बाद,
गोया लगौन्दु जाणु थौ.....

हिटणु शुरु करि मैंन,
गढ़वाळि बोन्नु सिखणु थौ,
प्यारा पाड़ का रौंत्याळा डांडा,
आंख्यौंन अपणा देखणु थौ.....

आखर ज्ञान लेण का खातिर,
एक दिन मैं स्कूल गयौं,
पाटी मा माटु फोळिक,
बराखड़ी आंगळिन लिख्दु रयौं....

बचपन बस्युं मन मा मेरा,
अति प्यारु लग्दु थौ,
अहसास होन्दु भलु थौ भारी,
ब्वै बाब कू प्यार मिल्दु थौ......
दिनांक 12.9.2016

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल