Wednesday, February 24, 2016

“घिन्डुड़ी”

“घिन्डुड़ी”

फुर उड़िजा, घिन्डुड़ी प्यारी,
डाळ्यौं मा वार पार,
प्यारी ब्वै मू,  लिह्जा लठ्याळि,
तू मेरु रैबार……..

मेरी ख़ुद मां, होंणी होलि,
मांजी मेरी उदास,
यनु बतैदे, मैं राजि खुशी छौं,
औलु तेरा पास…..       
फुर उड़िजा, घिन्डुड़ी प्यारी……..

भूलि भुलों की ख़ुद लगीं छ,
औणि छ ऊन्कि याद,
प्यारी ब्वै मां, यनु बतैदे,
औलु बिखोती का बाद.
फुर उड़िजा, घिन्डुड़ी प्यारी…….

प्यारी ब्वै मां, बोलि घिन्डुड़ी,
उदास नि होंणु,
सैसर मां राजि खुशी छौं,
अफुमा नि रोंणु.
फुर उड़िजा, घिन्डुड़ी प्यारी…….

चन्द्रबदनी जू, दैन्णु होलि,
लग्युं छौं मैं सास,
कोथिग आला, बैसाख मैना,
औलु तेरा पास.
फुर उड़िजा, घिन्डुड़ी प्यारी…….

जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसू
ग्राम: बागी नौसा, पट्टी. चन्द्रबदनी,
टेहरी गढ़वाल-२४९१२२
4.2.२००९ को रचित
दूरभाष: ९८६८७९५१८७

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