Thursday, February 4, 2016

हे जिंदगी.....



सदानि त्‍वै जीण का खातिर,
कदम कदम फर,
ठोकर हि लगाई,
कनुकै बितौलु त्‍वै,
मन मेरु कसमसाई,
बितैन जिंदगी का दिन,
रतबेणु जब औन्‍दु,
तब कुछ देर बाद,
सुबेर ह्वै जान्‍दि,
दिन बित्‍दु जब,
ब्‍याखुनि बग्‍त विदा होन्‍दि,
अंधेरी रात ह्वै जान्‍दि,
दिन रात की तरौं,
सुख दुख औन्‍दा अर जान्‍दा,
कबरि हैंसौन्‍दा,
अर रुलौन्‍दा,
बोझ भी लग्‍दि जिंदगी,
कबरि प्‍यारी,
हे प्रभु तेरी लीला न्‍यारी,
जीण हि पड़लि जिंदगी,
बोझ हा या प्‍यारी.......

-जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
मेरा कविमन कू कबलाट,

सर्वाधिकार सुरक्षित, 6.1.2016

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