Wednesday, February 24, 2016

“पाटी, माटु अर् कमेड़ु”

“पाटी, माटु अर् कमेड़ु” 
गुरुजीन अक्षर ज्ञान का खातिर,
पाटी मा पैलि माटु बिछाई,
बड़ा प्यार सी आंगळि पकड़ी,
अ आ इ ई लिख्न्णु सिखाई.
काळी पाटी मा कलम कमेड़ान, 
बराखड़ी लिख्न्णु सिखाई,
लिख्दु लिख्दु प्यारी पाटी मा,
अपणी किताब पढ़णु आई.
मास्टर जी किलै सिखौणा था,
यांकु बचपन मा निथौ ज्ञान,
आज समझ मा औण लग्युं छ,
कनुकै चुकौं गुरु जी कु अहसान.
पाटी, माटु अर् कमेड़ा कू,
आई.टी. युग मा छुटिगी साथ,
कम्पूटर का की बोर्ड फर,
अब त सदानी रंदु छ हाथ.
रचनाकार:
जगमोहन सिंह जयाड़ा, जिग्यांसु
२7.१२.२००८ 

No comments:

Post a Comment

मलेेथा की कूल